महादेवी वर्मा की पुण्य तिथी
Posted by सागर नाहर on 13, सितम्बर 2006
हम सबसे यह कैसी भूल हुई है कि कल यानि १२ सितंबर को हिन्दी की महान कवियत्री ” महादेवी वर्मा ” की पुण्य तिथी थी और हम सब हिन्दी चिट्ठा कारों को याद ही नहीं रहा।
२६ मार्च १९०७ को इलाहाबाद में जन्मी महादेवी जी ने १९३२ में संस्कृत विषय में एम. ए की और बाद में उन्हें पद्म भूषण एवं ज्ञानपीठ पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया। महादेवी जी का परिचय लिखना सही नहीं लगताक्यों कि वे परिचय की मोहताज नहीं है।
महादेवी वर्मा जी का निधन १२ सितम्बर १९८७ को हुआ था।
महादेवी वर्मा की पुण्य तिथी पर हार्दिक श्रद्धान्जली एंव यहाँ प्रस्तुत है उनकी लिखी एक कविता: और साथ ही महादेवी से संबंधित कुछ लेखॊं की कड़ियाँ
“यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो”
रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी वीणा स्वर
गये आरती वेला को शत शत लय से भर,
जब था कल कण्ठों का मेला
विहँसे उपल तिमिर था खेला
अब मन्दिर में इष्ट अकेला,
इसे अजिर का शून्य गलाने को गलने दो!
चरणो से चिह्नित अलिन्द की भूमि सुनहली
प्रणत शिरों के अंक लिए चन्दन की दहली
झरे सुमन बिखरे अक्षत सित
धूप अर्ध्य नैवेद्य अपरिमित
तम में सब होंगे अन्तर्हित,
सबकी अर्चित कथा इसी इसी लौ में पलने दो!
पल के मनके फेर पुजारी विश्व सो गया
प्रतिध्वनि का इतिहास प्रस्तरों बीच खो गया,
साँसों की समाधि सा जीवन,
मसि सागर का पंथ गया बन,
रुका मुखर कण कण का स्पन्दन,
इस ज्वाला में प्राण रूप फिर ढ़लने दो!
झंझा है दिग्भ्रान्त रात की मूर्च्छा गहरी,
आज पुजारी बने , ज्योति का यह लघु प्रहरी,
जब तक लौटे दिन की हलचल,
तब तक यह जागेगा प्रतिपल,
रेखाओं में भर आभा जल
दूत साँझ का इसे प्रभाती तक चलने दो!
कड़ियाँ:
हिन्दी विभागाध्यक्ष, आर्टस एण्ड कॉमर्स कॉलेज,
चीखली, जिला नवसारी, गुजरात
महादेवी वर्मा के प्रेम चन्द के प्रति विचार
एक अंग्रेजी लेख
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
महादेवी को इलाहाबादी कैसे भूल सकते है, ये जरूर है किसी कोई चिठ्ठे पर इसे नही ला सका। महादेवी जी हिन्दी साहित्य जगत की हीरा है हीरा कितना भी पुराना हो जाये उसकी कीमत और चमक कम नही होती है। मुझे तनिक भी कष्ट नही हो रहा है कि चिठ्ठे पर महादेवी का न होना, कयोकि किसी महापुरूष (स्त्री) के बारे मे जानकारी देने के काम उस क्षेत्र के चिठ्ठाकार का काम होता है, भले ही हिन्दी साहित्य से सैकडो साहित्यकार प्रयाग की धरती से जुडे हो किन्तु ब्लागिग के मामले मे इलाहाबाद अभी काफी पिछडा हुआ है।
हमारे प्रयाग मे महादेवी जी से सम्बन्धित तिथि को विभिन्न स्थानो पर कार्यक्रम किसे जाने है सबसे बडा कार्यक्रम प्रयाग महिला विद्यापीठ मे होता है जहां वे प्रधानाचार्य पद पर कभी थी। यही अन्य विद्वानो के साथ भी होता है।
मैने महादेवी को कम ही पडा है किन्तु कक्षा नौ मे हमारे पाठ्यक्रम मे एक गद्य था जिसका शीर्षक था गिल्लू वह मुझे आज 7 साल बाद भी नही भूलता है
”हिन्दी है हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा
हिन्दी दिवस की शुभ कामनाऐ।
आशीष said
महादेवी जी को मेरी हार्दिक श्रद्धांजली !