आहा! आनन्दम- आनन्दम
Posted by सागर नाहर पर 7, फ़रवरी 2007
आज का दिन तो बड़ा अच्छा रहा मेरे लिये सुबह सुबह कूरियर मिला तो आश्चर्य हुआ क्यों कि कूरियर का ज्यादा काम नहीं पड़ता अपना, ज्यादा से ज्यादा टेलिफ़ोन बिल आ जाता है। खोलकर देखा तो पाया कि हमारे प्रिय प्रमेन्द्र जी ने मुझे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री गुरुजी पू. माधव सदाशिव गोलवलकर जी पर आधारित सोलह पुस्तकों का सैट था। पुस्तकें पाकर मन प्रसन्न हो गया, मैं उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूँ जिन्होनें मुझे ऐसा अमूल्य उपहार भेजा।
इन के अलावा अन्य पुस्तकें निम्न है-
समन्वय के सुमेरू: गुरुजी,व्यक्तिगत व राष्ट्रीय चरित्र: श्री गुरुजी का दृष्टिकोण ,श्रीगुरुजी का सामाजिक दर्शन,श्रीगुरुजी और युवा, श्रीगुरुजी और सामाजिक समरसता, अमृतवाणी :श्रीगुरुजी, राष्ट्रीय आपदाओं के समय श्रीगुरुजी का मार्गदर्शन, श्रीगुरुजी और मातृ शक्ति, श्रीगुरुजी और हिन्दू जीवन दृष्टि, श्रीगुरुजी और ईसाई मिशन, पूर्वांचल और श्रीगुरुजी, श्रीगुरुजी बोधकथा औरउत्तर प्रदेश में श्रीगुरुजी।
कहते हैं कि जब उपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ के देता है सो छप्पर अभी फटना बाकी था जो कुछ ही देर में दूसरा कूरियर वाला आया और एक और पकेट दे गया उपर लिखा था Education Material! यह तो पता चल ही गया कि यह तरकश की तरफ से आयोजित प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में भेजा गया उपहार है। तरकश की तरफ से प्रशस्ति पत्र के साथ दो बहूत ही अमूल्य पुस्तकें मिली है।
और यह रहा प्रशस्ति पत्र
अब कम से कम अट्ठारह दिन तक पुस्तकों का अकाल नहीं रहेगा।
मैं एक बार फिर अनुज प्रमेन्द्र प्रताप सिंह, तरकश टीम, तरकश के जज महोदय और मेरे चिट्ठों के पाठकों को धन्यवाद देता हूँ, जिनकी वजह से आह इतनी अमूल्य पुस्तकें उपहार में मिली। नि:संदेह मुझे आज तक मिले उपहारों में सबसे कीमती उपहार मुझे आज मिले हैं।
PRAMENDRA PRATAP SINGH said
तरकश की तरफ से मिले पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र की बधाई
Shrish said
बधाई हो, भाईसाहब पुस्तकों में कुछ खास बातें जो पसंद आएं, चिट्ठे पर भी लिखना।
संजय बेंगाणी said
जानकर खुशी हुई की तरकश वालो ने माइक्रोसॉफ्ट वालो का अनुसरण नहीं किया.
आपको बधाई.
रवि said
ये तरकश वाले तो बड़े ईमानदार निकले!
बहरहाल, बधाई – सभी को – आयोजकों को तथा विजेताओं दोनों को.
SHUAIB said
पढ़ कर ज़रूर बताना भाई – पूरा ना सही कुछ कुछ तो ज़रूर लिखते रहो। बैठे बैठे इतनी बडी बडी पुस्तकें, आप तो बडे ख़ुशक़िस्मत हो। बहुत बहुत बधाई।
अनुराग said
बहुत बधाई. पुस्तकें पढ़ कर उनका सार या समीक्षा चिठ्ठे पर अवश्य लिखियेगा.
गिरिराज जोशी "कविराज" said
बहुत बधाई. पढ़ कर ज़रूर बताना भाईसा!
Tarun said
बधाई हो भाई, तुम्हारी तो लॉटरी निकल आयी। तरकश वालों ने तो ईमानदारी में माइक्रोसोफ्ट को मात दे दी 😉 उनको भी बधाई 🙂
समीर लाल said
बहुत बहुत बधाई. अब पढ़ाई शुरु करो. अगले १८ दिन कोई चिट्ठा मिट्ठा नहीं. सब बंद. 🙂
अनूप शुक्ला said
वाह, बधाई!
उन्मुक्त said
पुनः बधाई
DR PRABHAT TANDON said
बहुत-2 बधाई। कामरेड गोडसे की पुस्तक की समीक्षा अवशय लिखियेगा।
Dr.bhawna said
समीर जी तरकश की तरफ से मिले पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र की बहुत-बहुत बधाई।
Dr.bhawna said
सागर जी माफ कीजियेगा आप दोनों का नाम ‘स’ से शुरू होता मैं जल्दबाजी में आपके नाम के स्थान पर समीर जी का नाम लिख गयी अन्यथा न लें। आपको बहुत-बहुत बधाई।
राजीव said
बधाई। परंतु अपने चिठ्ठे में पुस्तकों का सारंश अवश्य प्रकाशित करियेगा।
सृजन शिल्पी said
बधाई। आपके पास तो पढ़ने, सोचने और लिखने के लिए एक साथ बहुत सारा माल आ गया।