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Posted by सागर नाहर on 25, मार्च 2007
This entry was posted on 25, मार्च 2007 at 9:37 अपराह्न and is filed under हस्त चिट्ठाकारी. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, या trackback from your own site.
PRAMENDRA PRATAP SINGH said
सागर भाई ने बाजी मार ली। मै आज से नही लगभग दो माह पहले से इस प्रकार के लेख लिखने की सोच रहा था। पर मन मे संसय था कि लोग किस अर्थ मे लेगें। चूकिं मेरा इस प्रकार लिखना उस समय की मजबूरी थी। क्योंकि उन दिनों मेरे पास टंकण टूल्स का अभाव था। क्योकि मेरे कम्प्युटर में इण्डिक आईएमई काम नही करता था और मुझे बाराहा पर काम करने की आदत नही थी।
चूकिं मौजूदा समय मे कुछ दिनों से विभिन्न कारणों से टंकण कार्य बन्द है। तो सोचता था यह भी किया जा सकता था। किन्तु जिस कारण से टंकण कार्य बन्द हे वह है समय अभाव और अभी इतना वक्त नही है कि यह पर वक्त दे सकूँ।
सागर भाई आपको प्रथम स्याही चिठ्ठाकार होने की बधाई।
Pratik Pandey said
पहले स्याही चिट्ठाकार का पद पाने के लिए आपको बधाई। आपका हस्त-लेख वाक़ई बढ़िया है।
समीर लाल said
बढ़िया है सागर भाई!! बहुत बधाई प्रथम स्याह चिट्ठाकार बनने के लिये. 🙂
समीर लाल said
वैसे यह जो कड़ी नुक्ता चीनी की आपने दी है, उस पर भी हस्त-लेख दर्ज है, शायद आपके बाद देखा देखी देबाशीष को भी शौक आ गया होगा, तो आप ही प्रथम कहलाये. 🙂 🙂
masijeevi said
जे तो गल्त है भई
मतलब पहले दूसरे का क्या मतलब, चाहे सारे ही ब्लागर मसि-ब्लॉगर या मसि-चिट्ठाकार बन जाओ पर भाई लोग हिंया तो हम हैं ही मसिजीवी। तो बाद के सब मसिकर्मी बाद में हैं- मसि हमारा ही ट्रेडमार्क है।
सागर जी आपका मसिजगत में स्वागत है।
masijeevi said
और हॉं क्या अब भी बताना पड़ेगा कि ink blogging को क्या कहेंगे ?
मसि-चिट्ठाकारी
RC Mishra said
Badhaee Sweekar Karen!
उन्मुक्त said
वाह क्या बात है।
अनूप शुक्ला said
सही है। अच्छा लगा। ह्स्तलेख भी सुंदर है। लेकिन ह्स्ताक्षर हिंदी में क्यों नहीं भाई! 🙂
हप्ते में एक पोस्ट हाथ से लिखा करो। अच्छा लगेगा। हम खुश हुये।:)
अतुल शर्मा said
बधाई हो। जल्दी ही हाइपरलिंक वाला हस्तलिखित चिट्ठा भी पोस्ट कीजिए। यहाँ दाईं ओर अक्षर कट रहे हैं।
गिरिराज जोशी "कविराज" said
पहले स्याही चिट्ठाकार का पद पाने के लिए आपको बधाई। आपका हस्त-लेख वाक़ई बढ़िया है।
अफ़लातून said
हार्दिक शुभेच्छा ।
विशाल said
वाह सागर भैया, पहले स्याह चिट्ठाकार बनने पर बधाई हो। लेख देख कर लगता है कि स्कूल में सुलेख में अच्छे अंक पाते होंगे
संजय बेंगाणी said
आपके सुन्दर अक्षर है इसलिए आप बे झिझक लिख मारे. वरना तो हम ही प्रथम होते 🙂
बधाई स्वीकारो.
प्रियंकर said
हस्तलेख तो अपना भी काम-चलाऊ है . पर तकनीकी ज्ञान जरा उच्च कोटि का है . और जब हस्तचिट्ठाकारी के जन्म का कीर्तिमान मुनि नाहरसागर जी के नाम हो ही गया है तो हम क्यों दुख पाएं , क्यों न उन्हें बधाई दे कर हर्षित हो जाएं .
हां! अनूप जी की हस्ताक्षर वाली बात पर एक सूचना आप सबको देना चाहता हूं कि राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में अंग्रेजी का वरिष्ठ अध्यापक रहा हूं और राजस्थान,गोआ से होते हुए अब प० बंगाल में हूं पर कभी भी और कहीं भी हमेशा अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही किये . बैंक-पोस्टआफ़िस-बच्चों के स्कूल से लेकर रेलवे रिज़र्वेशन तक, यहां तक कि जब पत्र अंग्रेज़ी में लिखा और फ़ोर्म अंग्रेज़ी में भरा तब भी .
यह संकल्प जब माध्यमिक/उच्च-माध्यमिक में था तब लिया था और हिंदीतर इलाकों में प्रारंभिक प्रतिरोध के बावजूद और थोड़ी-बहुत परेशानी उठाकर भी इसे निभाने में पूरी तरह कामयाब रहा हूं .
प्रियंकर said
हस्तलेख तो अपना भी काम-चलाऊ है . पर तकनीकी ज्ञान जरा उच्च कोटि का है . और जब हस्तचिट्ठाकारी के जन्म का कीर्तिमान मुनि नाहरसागर जी के नाम हो ही गया है तो हम क्यों दुख पाएं , क्यों न उन्हें बधाई दे कर हर्षित हो जाएं .
हां! अनूप जी की हस्ताक्षर वाली बात पर एक सूचना आप सबको देना चाहता हूं कि राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में अंग्रेजी का वरिष्ठ अध्यापक रहा हूं और राजस्थान,गोआ से होते हुए अब प० बंगाल में हूं पर कभी भी और कहीं भी हमेशा अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही किये . बैंक-पोस्टआफ़िस-बच्चों के स्कूल से लेकर रेलवे रिज़र्वेशन तक, यहां तक कि जब पत्र अंग्रेज़ी में लिखा और फ़ॉर्म अंग्रेज़ी में भरा तब भी .
यह संकल्प जब माध्यमिक/उच्च-माध्यमिक में था तब लिया था और हिंदीतर इलाकों में प्रारंभिक प्रतिरोध के बावजूद और थोड़ी-बहुत परेशानी उठाकर भी इसे निभाने में पूरी तरह कामयाब रहा हूं .
Jagdish Bhatia said
सागर भाई बधाई, बहुत अच्छा 🙂
आशीष said
वैसे हमारी हस्तलिपी आप लिखे खुदा बांचे है वर्ना यह श्रेय हमे प्राप्त होता 🙂
खैर जो भी हो, हमारी बधाई टिका ली जाये !
😀
Raman Kaul said
Raman Kaul said
यहाँ पढ़ें
मनीष said
बधाई सागर भाई !
सागर चन्द नाहर said
अरे बाप रे विश्वास नहीं हो रहा कि इतनी टिप्पणीयाँ मिलेगी, रात को जब यह लिखा और पोस्ट किया जल्दबाजी में, तब से लकर सुबह तक मन में संकोच महसूस हो रहा था कि लोग क्या कहेंगे। फिर सोचा सुबह आकर पोस्ट को हटा देंगे पर आते ही देखा कि नौ टिप्पणीयाँ आ चुकी है। तब थोड़ी जान में जान आई 🙂
भले ही यह पोस्ट मैने लिखी हो पर इसका पूरा श्रेय देबूदा को ही जाता है कि उन्होने एक नई चीज के बारे में बताया। अत: यह पुरी पोस्ट देबूदा को समर्पित करता हूँ।
सागर चन्द नाहर said
@ प्रमेन्द जी, प्रतीक भाई, मिश्राजी, उन्मुक्त भाईसा., अतुल शर्माजी, अपलातून जी, गिरीराज जोशीजी, संजय भाई, आशीष भाई, जगदीश भाई सा. और मनीष जी
आप सबको को उत्साहवर्धन करने के लिये धन्यवाद। 🙂
manya said
Gud hand writing and great Ink-blogging.. keep it up… 🙂
सागर चन्द नाहर said
@ अनूप भाई साहब और प्रियंकर भाई साहब
११ वीं कक्षा तक तो मैं हिन्दी में हस्ताक्षर किया करता था पर बाद में जब पहली बार बैंक खाता खुलवाया तब अचानक अंग्रेजी का चस्का लग गया जो बाद में वर्षों तक चालू रहा। अब भी मैं कभी कभार (झूठ नहीं बोलूंगा) हिन्दी में हस्ताक्षर कर लिया करता हूँ।
इस विषय पर मैने एक बार पोस्ट भी लिखी थी तब लगभग सारे चिट्ठाकार अंग्रेजी में हस्ताक्षर करने के दोषी पाये गये थे।:)
कोशिश करूंगा कि आगे से हिन्दी में हस्ताक्षर करूं।
सागर चन्द नाहर said
@ विशाल जी और मान्या जी
सच है कि पहले राईटिंग सुन्दर हुआ करती थी पर अब लिखना छूट गया है सो अब बिगड़ गई है, लेकिन यह काम करने के बाद इतना अच्छा लग रहा है कि अब पोस्ट करूं या ना करूं हाथ से लिखना फिर से शुरू करूंगा।
टिप्प्णी के लिये धन्यवाद
सागर चन्द नाहर said
@ रमन भाई साहब
सर्वप्रथम मसि टिप्प्णीकार बनने के लिये आपको बधाई और उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद।
@ समीरलाल जी भाई साम
उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद, सच यह है कि मैने देवाशिष भाई साहब की कड़ी दी है यानी मैने उनसे ही सीखा है।
@ मसिजीवी भाई सा.
बिल्कुल आप मसिजीवी हैं और सबसे पहले आपही का नाम आयेगा। 🙂 वैसे नाम बहुत अच्छा लगा
” मसि- चिट्ठाकारी”
धन्यवाद।
जीतू said
भई वाह!
इस नयी विधा पर लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई।
कल ये पोस्ट देखी थी, लेकिन थोड़ा बिजी चल रहा हूँ, इसलिए टिप्पणी देने मे देर कर दी। पहले सोचा था हस्तलिखित टिप्पणी दूंगा, लेकिन मेरी हस्तलिखित टिप्पणी आपके पढने मे नही आती, इसीलिए मजबूरन यहाँ लिख रहा हूँ।
rajeshroshan said
Congrats. 🙂 Kya likha hai. Hum log hindi mein aise hi naye naye mukam gadhte rahe to blogging matlab chhithekari nahi chhithekari matlab blogging ho jayegi. Kyo sahi kaha na.
Shrish said
आपको हिन्दी का पहला मसि-चिट्ठाकार (इस शब्द के लिए मसिजीवी जी को धन्यवाद) और रमण जी को पहला मसि-टिप्पणीकार बनने के लिए बधाई ! 🙂
नियमित तौर पर ना सही पर शौक के लिए कभी कभी भाई लोग ये काम कर ही सकते हैं।
मेरे पास न स्कैनर है न डिजिटल कैमरा अन्यथा टिप्पणी हस्तलिखित ही करता। बाकी हस्तलिखित ब्लॉग लिखूँगा तो सभी पाठक भाग जाएंगे क्योंकि अपनी भी लिखाई आशीष भाई की तरह “आप लिखे खुदा बांचे” वाली है। 😦
आपकी लिखाई वाकई बहुत सुन्दर है।
Shrish said
और हाँ मेरे विचार से हस्ताक्षर हिन्दी में होने बारे कट्टर होने की जरुरत नहीं। यह अपनी अपनी पसंद की बात है कि कौन किस भाषा में हस्ताक्षर करे।
हाँ यह बात आपतिजनक है कि इंग्लिश में ही हस्ताक्षर करने को मजबूर किया जाए।
दीपक said
सागर भैया, पहले स्याह चिट्ठाकार बनने पर बधाई हो। , हस्ताक्षर ह से हिन्दी मे होनी चाहिये
फुरसतिया » ब्लागिंग में भी रिश्ते बन जाते हैं said
[…] भेंटवार्ता, प्रथम ब्लागजीन, प्रथम इंकब्लागिंग की तर्ज पर यह पहली हिंदी ब्लागर शादी […]
पंकज बेंगाणी said
देर से जागने के लिए माफी चाहुंगा.
बडा मजेदार प्रयोग किया आपने भाईसा.. मजा आगया.
बाकि मै ऐसा प्रयोग नही कर सकता क्योंकि मेरा लिखा तो मै भी नही पढ सकता. हा ह हा हा
bhuvnesh said
badhai sweekariye naharji….
फुरसतिया » इंक-ब्लागिंग के कुछ फुटकर फ़ायदे said
[…] क्या होती है, कैसे करते हैं, क्यों करते हैं इसके […]