यह हिन्दी का जालस्थल है या अंग्रेजी का?
Posted by सागर नाहर on 8, अप्रैल 2008
इस भाषा के लिये आप कुछ कहना चाहेंगे?
कि आदित्य की वाइफ पायल भी उनके ऑफिस के पास ही रहती हैं। पायल न सिर्फ जियोग्रेफिकली आदित्य के काफी करीब हैं , बल्कि वह प्रफेशनली भी उनके काफी करीब हैं। सूत्रों के मुताबिक , पायल यशराज फिल्म्स के बोर्ड ऑफ मेंबर्स में शामिल हैं और कई बार वहां पर विजिट भी करती रहती हैं।
और इसे भी..
अगर कोई स्टार अपना बर्थडे मनाता है , तो वह अपने साथी स्टार्स को इंवाइट करता है। इसलिए , जाहिर है कि स्टार सन के बेटे के बर्थडे में स्टार चिल्ड्रेन इंवाइट होंगे। सूत्रों के मुताबिक पार्टी में शाहरुख के बच्चे सुनैना और आर्यन से लेकर फराह अख्तर के बच्चों शाक्या और अकीरा तक ज्यादातर स्टार चिल्ड्रेन मौजूद थे। जैद खान का न्यू बॉर्न बेबी जिदान उस पार्टी का स्पेशल अट्रेक्शन था। पार्टी में ज्यादातर स्टार चिल्ड्रेन अपने स्टार पैरंट्स के साथ मौजूद थे। इसके लिए रितिक और सुजैन ने उन्हें पर्सनली इंवाइट किया था।
आज हिन्दी नवभारत टाइम्स के इंटरनेट संसकरण पढ़ते समय यह भाषा नजर आई। चित्रों में देखिये, बड़ा करने के लिये चित्र पर क्लिक करें।
यह चित्र यहाँ से लिया गया है।
और यह चित्र यहाँ से लिया गया है।
लगभग सभी पन्नो पर यही भाषा है।
Dr. Ajit kumar said
जब “नवभारत टाइम्स” ही है तो फ़िर क्या बात है आगे की.
ख़ैर, यही हिंग्लिश तो आज कल के युवाओं की भाषा है सागर भाई, इन्हें और क्या कहना और क्या सुनना. ये तो ऐसे ही चलेंगे.
Shuaib said
BOL CHAL AKHBAR HAI
AAJ KAL TO HUM LOG AISE HI BAT KARTE HAIN NA
AB AKHBAR WALON NE SOCHLIYA KI PUBLIC KE MAFIK KHABREN HON 🙂
अनिता कुमार said
एक दो महीने पहले आलोक जी से इसी बात पर चर्चा हो रही थी और उन्होंने कहा था भविष्य में हिन्गलिश का विश्व में वही स्थान होगा जो आज इंगलिश का है और मुझे उनकी बात सौ फ़ी सदी सही लगती हैं। नबभारत टाइम्स आने वाले समय में खूब उन्न्ती करेगा…:)
bhuvnesh said
यही है राइट चॉइस बेबी..आहा !
🙂
kirtish said
मुझे तो आश्चर्य हुआ नवभारत टाइम्स जैसे अखबार की ये भाषा देखकर. मुद्दा गंभीर है आपने इसे यहाँ प्रस्तुत कर बहुत अच्छा किया. लेकिन पढने वालों को भी आप ही की तरह सतर्क होना होगा सागरजी तभी कुछ बात बनेगी. फिलहाल तो आपकी इस पोस्ट पर अब तक टिप्पणियों से भी यही लगता है पढने वाले भी इस प्रकार की त्रुटियों को गंभीरता से नही ले रहे हैं.
ज्ञानदत्त पाण्डेय said
बच गये! मुझे लग रहा था कि कहीं हम जैसे की हिन्दी की चिन्दी न कर रहे हों आप!
नवभारत टाइम्स है तो चलेगा। ट्रेण्डी मामला है।
संजय बेंगाणी said
टाइम्स है ना बाबा….यह तो बिका हुआ, बेकार अखबार है. सुना है हिन्दुस्तान भी ट्रेंडी हो रहा है.
नितिन बागला said
डान्ट वरी। जस्ट चिल ब्रो।
🙂 :DD
सुरेश चिपलूनकर said
कायको खाली-पीली बोम मार रयेला है यार, खामखा दीमाक का पाव-भाजी बना के रख दिया, अब चल जल्दी से एक टिप्पणी कर दे मेरे ब्लॉग़ पर नईं तो कान के नीचू आवाज निकालेंगा… क्या भीडू, (ये मलेशिया टाइम्स की भाषा है, क्योंकि फ़िलहाल छोटा राजन वहाँ है) 🙂 🙂
yunus said
अरे सागर भाई आजकल नवभारत टाइम्स खरीदकर पढ़ता कौन है । मुंबई दिल्ली में रोज़ के सफर को काटने के लिए कई दूसरे अखबार हैं जो मोटे ताजे हैं । नवभारत टाइम्स तो हिंदी के नाम पर आंसू बहाने के लिए हम जैसे कुछ टसुए बहाऊ लोग अभी तक घर पर मंगा रहे हैं । ससुरा रद्दी वाला भी ताने देता है कि आप अभी तक हिंदी अखबार खरीदते हैं । धत्तेरे की । अंग्रेजी में हिंदी अखबार मिले हुए ना हों तो रद्दी वाला हमें एक रूपये प्रति किलो ज्यादा देगा पर हम हैं कि मानते ही नहीं । बातों के मर्म को समझिए सरकार ।
जीतू said
जैसे इन लोगो ने इंडियाटाइम्स डाट काम का काम-तमाम किया है (चूं चूं का मुरब्बा बना के रख दिया है), वैसे ही अब ये लोग नवभारत टाइम्स का करने वाले है। शुरुवात जाहिर है भाषा के बदलाव से ही करेंगे। फिर धीरे धीरे, लड़कियों के अधनग्न फोटो, समाचारों का कचरा करते करते, इसको ऐसा बना देंगे कि लोग पढना बंद कर दें। जैसे इंडियाटाइम्स साइट को लोगो ने देखना छोड़ दिया है।
खैर, अपना क्या, करने दो…
राज भाटिया said
हम तो चुप हे भाई,बस आप सब की सुन रहे हे
Dr Prabhat Tandon said
यह कोई ताज्जुब की बात नही है , लखनऊ से प्रकाशित दैनिक जागरण का एक और पेपर नेस्ट की भी भाषा कुछ ऐसे ही है , ७५% अगेजी और बाकी वही जाने 🙂
Rewa Smriti said
What to say…..what not to say? Chaliye isbar kuch kahti hi nahi hun….main chup rahungi but jyada der tak nahi rah sakti 😉
समीर लाल said
कहाँ इन लफड़ों में पड़ रहे हैं…आप अपनी मशाल जलाये दौड़ते रहें बस..चाहे पेरीस हो या दिल्ली. जिनकी बुझनी है अपने आप बुझ जायेगी. 🙂
MEET said
हम्, बात तो सीरिअस है. कुछ थौट देने कि ज़रूरत है. यह ट्रेंड ठीक नहीं लग रहा. लेकिन कौन बौदर्ड है जो इन क्रेज़ी बातों पर ध्यान दे ? क्या करिएगा सागर भाई ? बेटर फोरगेट इट. आप के पास कोई चौइस भी तो नहीं है……
mehhekk said
agar akhabar ki ye dasha hai,to aam logo ka kya kehne,hinglish chod pura shudh hindi hi kitna accha mitha lagta hai.
नितिन said
शुक्र है अब तक तो नाम नवभारत टाइम्स है जल्द ही न्यू इंडिया टाइम्स भी हो जायेगा!
वैस मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब हिन्दी अखबार में ऊपर वाकी खबर का शीर्षक कुछ ऐसा होगा “रानीके लिये home छोडा”
Neeraj Badhwar said
मैंने एक दफा किसी औरत को कहते सुना था….मेरे ‘हसबैंड’ सुबह-सुबह ‘मिल्क’ लेने जाते हैं!
Dr. K. P. Srivastava said
Mujhe lagta hai ki is tarah upni baat ko express karna ek achchi shuruwat hai aur isme koi nuksan bhi nahin hai. Wastav men yeh ek aam aadmi ki bhasha hai. Es tarah se upne ko express karne ke liye hindi ya english ka adhik gyan zaroori nahin. Bhale hi yeh mixture ho per is tarah se dono bhashayen ek doosre ke words leker rich ho sakti hain.
सागर नाहर said
डॉ साहब
आपकी टिप्पणीयों के लिये धन्यवाद। आपने यहां जो टिप्पणी की है, के बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि आप प्रभूजोशी जी के लिखे इस लेख हिंदी की हत्या के विरुद्ध पढ़ना चाहिये।
इस तरह से भाषा समृद्ध नहीं होती बल्कि खत्म हो जाती है।