मसाला केप्सिकम और जास्मीन तेल
Posted by सागर नाहर on 11, अप्रैल 2010
चौंक गए ना ऐसा अजीबोगरीब शीर्षक पढ़ कर.. !
पिछले साल खाना बनाने के कटु अनुभव के बाद सोच लिया था कि इस बार पहले से ही तैयारी कर लेनी पड़ेगी, और हर्ष भी इस बार गाँव नहीं जाने की जिद कर रहा है। सो हम दोनों के पेट का बंदोबस्त तो करना ही होगा। सो इस बार पूर्व तैयारी के चलते यदा कदा सब्जी वगैरह बनाता रहता हूं। कई सब्जियों में तो अच्छी खासी मास्टरी हो गई है।
परसों जो सब्जी घर में बनी थी वो जरा कम पसन्द होने की वजह से मैने शिमला मिर्च बनाने का निश्चय किया। तिल, नारियल, मूंगफली और खसखस की बढ़िया ग्रेवी और फिर टमाटर प्यूरी आदि डाल कर एकदम बढ़िया सब्जी बना ली।
सब्जी जब बनने को आई तो मैने मसाले चखने के लिहाज से एक चम्मच सब्जी, गैस के पास की खिड़की में में रखी कटोरी में ले ली, और जैसे ही चखने के लिये उसे उठाया तो उसमें थोड़ा पानी दिखा। मैने सोचा पानी से मसाले का सही पता नहीं चलेगा सो मैने उस कटोरी वाली सब्जी को पानी सहित कढ़ाई में डाल कर हिला दिया। तभी अचानक मुझे सब्जी में से कुछ अजीब सी गंध आने लगी। श्रीमती जी को बुलाया तो उन्हें भी उस अजीब सी गंध से आश्चर्य हुआ। तभी पास में रखी कटोरी को देख कर पूछा इसमें सब्जी कैसे आई? मैने कहा मैने चखने के लिए ली थी पर उसमें पानी था इसलिये मैने वापस कढ़ाई में डाल दी।
श्रीमती जी अपने सर पर हाथ रख कर बोली है भगवान! ये आपने क्या किया? ( भगवान मुझे नहीं कहा था 🙂 ) मैने पूछा क्यों क्या हुआ?
उन्होने कहा अरे! आज सुबह पेराशूट जास्मीन हेर ऑइल के दो पाऊच खॊले थे और पाउच में बहुत सा तेल दिख रहा था सो पाऊच को इन पर उल्टा रख दिया था जिससे धीरे धीरे तेल इस कटोरी में जमा हो जाये। मैने कहा जब मैने देखा था तब खाली पाऊच नहीं थे तो उन्होने कहा उन्हें तो अभी पांच मिनिट पहले ही मैने कचरे में डाले थे और कटोरी को बॉटल में खाली करने जा ही रही थी कि सब्जी वाला आ गया तो पहले सब्जी लेने चली गई……
अब इतनी मेहनत से बनाई सब्जी को फेंकने की हिम्मत जुटाने से पहले सोचा एक चम्मच खा कर देखने में क्या हर्ज है शायद खाने लायक हो!
बस यहां से एक नई परेशानी हो गई। मैने फुलके (रोटी) का एक कौर तोड़ कर सब्जी के साथ खाया कि उबाईयां आने लगी…उल्टी होते होते बची। सब्जी में से जास्मीन तेल की गंध….!!! उधर गैस चालू था और सब्जी में तेल मिक्स हो कर पूरे घर में जास्मीन तेल की महक आने लगी। पूरे दिन जास्मीन तेल की दकारें आती रही । आज उस बात को तीन दिन हो गये हैं पर मेरे दिमाग में से वो गंध नहीं निकल रही घर में. खासकर रसोई में तो जाना भी दु:भर सा हो गया है। घर में कोई सिर में जास्मीन तेल लगाता है तो मैं बैचेन हो जाता हूं।
आखिरकार इतनी मेहनत से बनाई सब्जी अपने ही हाथों से फेंक देनी पड़ी। भगवान ये मेरे साथ ही क्यों होता है?
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ही ही ही ही ही !
वैसे जैस्मिन को चमेली ही कहते हैं ……न???
चमेली का तेल ….तो बड़ा प्रसिद्द है !
ज़रा आप अपनी उल्टियों की जांच तो करवाइए …..ना ?
हमको कुछ दुसरे टाइप के शक हैं !
और हाँ मास्टरी पे तो अपन का कापीराईट है !
सागर नाहर said
मास्साब सीधे सीधे लिख ही देते ना छछूंदर के सिर में…. इस में इतने संकोच की क्या बात है?
आपका दूसरे टाइप का शक भी शायद सही हो। 🙂
Lovely goswami said
😀
Aflatoon said
हम पुरुषों की अगली पीढ़ी में सतर्कता आ जायेगी । अगली गर्मियों के पहले चखने का सौभाग्य मिले,कामना है।
Yugal mehra said
एक बार और प्रयास करें, कोई कुकरी पुस्तक का इस्तेमाल करें
सागर नाहर said
युगल जी
सब्जी बनाने में तो अब खास परेशानी नहीं होती। यहां परेशानी कुछ अलग किस्म की थी। काश खाना बनाते समय सावधानी रखने संबधित भी कोई पुस्तक आती होती।
🙂
Gyandutt Pandey said
वाह, हम भी पाकशास्त्र में ऐसी महारत रखते हैं। हमें रसोईं से दूर रखा जाता है! 🙂
रचना said
saagar bhai
khanaa banaana tedhi kheer haen
ePandit said
आपसे सहानुभूति है।
चलिये ये आइडिया अच्छा है अगर किसी भाई की पत्नी जी जबरदस्ती खाना बनवायें तो ये फार्मूला अपनाया जा सकता है। 🙂
parul said
सागर जी साथ में रेस्पी भी लिखा कीजिये
vaise
करत – करत अभ्यास ….होत सुजान 🙂
संजय बेंगाणी said
हम भी तैयारी में जूटे है, आपके किस्से के बाद अधिक सतर्कता बरतेंगे. 🙂
kavita said
sagarji ,bahut afsos hua aapki mehanat tel me gayee ye jan kar aur vo bhi khushaboodar tel me.vaise rasoi me savdhaniyon par pustak nahi poora granth likha ja sakata hai.aap isitarah ki VARDATON ka bakhan karte rahiye maine shuruat kar di hai granth likhane ki.
anitakumar said
हा हा हा! आप के कि्स्से से याद आया कि बहुत पहले मेरी चचेरी बहन मेरे घर आयी थी। तब हमें शाम को भी ड्यूटी लगती थी। हम कॉलेज चले गये और उसने हमारी मदद के इरादे से भिन्डी की सब्जी बनाने की सोची। जब दो घंटे बाद हम आये तो वो किचन में हैरान परेशान खड़ी कड़ाही में पकती भिन्डी को आश्चर्य से देख रही थी। पूछने लगी तुम्हारे बम्बई में भिन्डी में इतना झाग आता है? हमें भी आश्चर्य हुआ। हमने पूछा कौन सा तेल डाला? तो उसने प्लेट फ़ार्म के नीचे रखे पांच लीटर के डब्बे की तरफ़ इशारा कर दि्या और हम हंस दिये। उस डब्बे में तो हमने लिक्विड सोप बना के रखा था
समीर लाल said
धन्य हो महाराज!! ईश्वर खाने (बनाने) के मामले में आपसे दूरी बनवाये रखे, यही कामना है. 🙂
anurag anveshi said
सर, मेरे कंप्यूटर में भी उसी तेल की गंध आ गई। प्लीज तस्वीर हटा लें। 🙂
अतुल शर्मा said
🙂
नई रेसिपी की बधाईयाँ
आप तो बड़े वीर-दुस्साहसी भी निकले, जो सब्जी को चखने का काम किया।
🙂
पंकज उपाध्याय said
हा हा 🙂 जबरदस्त.. आपसे मिलने से पहले हमे लगा था कि हम अकेले है जिसके साथ ऐसे होते है
आईये मिया, अच्छी निभेगी अपनी 🙂
padmsingh said
हा हा हा !
मैंने तो डाबर आंवला हेयर आयल की सब्जी भी खाई है ….. इसी तरह की दुर्घटना में …. फिलहाल सब्जी भले खराब हुई… घर तो महक गया