
चजई (चिट्ठाजगत) में तृतीय पुरुस्कार विजेता प्रविष्टी
मैने अपना पहला पहला मेल आई डी याहू में सन 1997 में बनाया था, जिस दिन से मेरा आई डी बना उस दिन से आज तक औसतन महीने की दस से बीस मेल मिलती है.. मैं फलाणां बैंक का मैनेजर ढींमका हूँ। हमारे बैंक के एक खातेदार मिस्टर नाहर अरबों रुपये की दौलत अपने पीछे बैंक में छोड़कर स्वर्गवासी हो गये हैं। अब चूंकि आप भी नाहर हैं सो इस दौलत पर आपका हक बनता है सो हम आपको उस दौलत का एक छोटा सा हिस्सा यानि २ मिलियन डॉलर आपको देना चाहते हैं… लीजिए २ मिलियन उनके लिये मामूली रकम है।
कभी मेल आती है आपके मेल आईडी ने हमारी ओनलाईन लॉटरी में २० मिलीयन का पहला इनाम जीता है.. शायद मेरे नये पुराने मिलाकर पाँच छ: आई डी होंगे, उनमें अगर रिडिफ को छोड़ दिया जाये तो महीने की लगभग सौ मेल मिलती है और उन सब में रकम दो चार मिलीयन डॉलर से नीचे कभी नहीं होती।
( रिडीफ की कहानी कुछ अलग ही है; रिडीफ में इस तरह की मेल नहीं तो आती, पर दूसरी फालतू की मेल रोज की बीस के हिसाब से आती है. मसलन शॉपिंग, बीमा ज्योतिष आदि, आप डीलीट करते करते थक जाओ पर वे दूसरी भेज देंगे)
अब महीने की सौ और साल की लगभग 1200 मेल और दस साल में 12000 मेल… 12000 मेल में औसतन २० मिलीयन डॉलर … भारतीय मुद्रा में… आगे हिसाब नहीं आता, आलोक पुराणिकजी मदद करिये!
आज तक जितनी मेल मिली है अगर वास्तव में वो सारा पैसा मुझे मिल जाता तो अब तक दो चार अमरीका और एकाद चीन तो अपन खरीद चुके होते। 🙂
सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि यह है कि आज तक जितनी मेल मुझे मिली है वे सब की सब अफ्रीका से आई थी, एक भी किसी और देश से नहीं। कई देश के तो नाम ही ऐसे होते हैं कि पढ़ कर हंसी आती है, मसलन lome-Togo! इस देश से Ecobank PLC के रीजनल मैनेजर Mr Walla K.Kadanga मुझे 4.5M(Four million five hundred thousand United States Dollars) लेने का आग्रह कर रहे हैं, मैं बड़े धर्म संकट में फंस गया हूँ कि इतनी दौलत लूं या ना लूं? उनका इतना आग्रह कैसे टालूं मैं? मैं तो वैसे भी आग्रह का जरा कच्चा हूँ।
तो क्या यह समझा जाये कि या तो दानवीर कर्ण अफ्रीका में जन्मे थे इसलिये उनके वशंजों में दान देने की प्रवृति का जीन अब तक उनमें है या फिर दानवीर कर्ण अब अफ्रीका में जन्म लेने लगे हैं।
तीन चार दिन पहले मेरे एक नियमित ग्राहक दुकान में आये और जब केबिन में बैठने लगे उनके मुंह से धीमे से यह निकला साले सब के सब !@#$%^&*() बनाते हैं। बाद में उन्होने एक मेल का प्रिंट आऊट निकाला और मुझे कहा इसे पढ़ो, इमेल लिखने वाले का पता देखते ही मैने उन ग्राहक से कहा यह तो फर्जी मेल है, आपने इसका जवाब तो नहीं दिया? कहीं आपने अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर या बैंक खाते का नंबर तो नहीं दिया ना?
मेरे इतना कहते ही उनके चेहरे का बल्ब जैसे फ्यूज हो गया और वे कहने लगे नहीं नहीं.. मैने नहीं दिया। उनके चेहरे को देखते और उनके मूंह से निकली गाली से साफ महसूस हो रहा था कि भाइ साहब किसी बैंक मैनेजर (?) के झांसे में आकर अपने क्रेडिट कार्ड या खाते का नंबर दे बैठे हैं।
पुनश्च: जब मैं यह प्रविष्टी लिख रहा हूँ और मुझे अफ्रीका से एक मेल मिली है।
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देखिये मुझे ५० हजार डॉलर मिल रहे हैं ले लूं क्या?
आप सब को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें