जहाँ लड़कियों का पिता होना सौभाग्य की बात है
Posted by सागर नाहर पर 2, जुलाई 2008
मेरे कॉफे में एक ग्राहक आते हैं, उनका नाम है स्वामी! आंध्र प्रदेश के ही है। एक दिन स्वामी शादी की कुमकुम पत्रिका लेकर आये भैया बड़े भाई की शादी है आप भी जरूर आईयेगा। मेरा उनके साथ ग्राहक-दुकानदार के अलावा कोई खास रिश्ता नहीं है, मेरा जाने का मन था भी नहीं और इस वजह से मुझे शादी की तारीख याद भी नहीं रही।
शादी की तारीख के कुछ दिनों बाद स्वामी फिर दुकान पर आये तो मैने उनसे माफी मांगी और पूछा कैसा रहा विवाह क्रार्यक्रम? स्वामी बोले भैया शादी तो कैन्सिल हो गई। मैने पूछा क्यों भाई ऐसी क्या बात हो गई? स्वामी बोले भैया के ससुर ने एक पल्सर और 75 हजार देने का वायदा किया था ( घर के दूसरे सामान अलग!) शादी के कुछ दिनों पहले बोले की पल्सर नहीं दे पायेंगे, फिर कुछ दिनों बाद बोले की 75 नहीं 25 ही दे पायेंगे, बस पापा को बुरा लगा और उन्होने शादी कैन्सिल कर दी! मेरा सर घूमने लगा था.. पत्रिका छप गई और महज कुछ हजार रुपयों के लिये विवाह रद्द कर दिया गया!!! स्वामी अपनी ही रौ में बोले जा रहा था भाई के ससुर को एक बात पर तो रहना चाहिये था ना भैया….. मैने स्वामी को जैसे तैसे रवाना किया।
मुझे कुछ दिनों बाद पता चला कि लड़की कॉल सेन्टर में काम करती है और 15 हजार रुपये कमाती है और लड़का अभी काम खोज ही रहा है…
********
राजस्थान के कई जिल्लों मे लड़कियों की अत्यधिक कमी होती जा रही है। बैंगलोर , सुरत और हैदराबाद में रहने वाले कई परिवारों में मेवाड़ प्रांत के लड़के 30+ हो गये हैं पर अभी दुल्हन नहीं मिल रही। ऐसे में लड़कों के अभिभावक को अपने आस पास के गाँवों को छोड़कर दूर दराज जिलों या दूसरे राज्यों में दुल्हन खोजनी पड़ रही है।
राजस्थान के कई जैन परिवार पीढ़ीयों से नीमच, इन्दौर, जलगाँव, नासिक आदि शहरों में रह रहे हैं, जिनमें कईयों को तो यह भी नहीं पता कि राजस्थान में उनका मूल गाँव कौनसा है। राजस्थान के ही निम्बाहेड़ा, चित्तोड़, सादड़ी आदि गाँवों में भी कई जैन परिवार बहुत ही गरीब हैं। ऐसे में लड़कों के अभिभावक इन परिवारों की लड़कियों को दुल्हन बना कर ले आते हैं।
इन लड़कियों से विवाह करने के इच्छुक माता पिता पहले स्थानीय दलाल से सम्पर्क करते हैं और दलाल आसामी की औकात देखकर अपना कमीशन तय करता है। यह रकम 25 हजार से लेकर 3 लाख रुपये तक हो जाती है। लड़की को होटल, मंदिर या धर्मशाला में ही दिखाया जाता है, उनका घर बार नहीं बताया जाता। और पसंद आने पर कीमत तय होती है जो 2 लाख से लेकर 12-15 लाख तक होती है। इन दिनों तो मेवाड़ के ही कई जैन परिवार अपनी लड़की के सौदे के एवज में १०-१२ 40-50 लाख तक दहेज मांगने लगे हैं।
इस तरह लड़कियों की कमी और मांग के चलते कुछ लालची परिवारों ने इसे एक धंधा बना लिया है। अब चुंकि लड़की का घर बार नहीं दिखाया जाता, लड़की के बारे में उत्साहित लड़के वाले ज्यादा जानकारी लेते भी नहीं। और विवाह के बाद एकाद सप्ताह बाद लड़की घर के जेवर आदि लेकर रातों रात चंपत हो जाती है। और फिर नया ग्राहक खोज लिया जाता है। ऐसा नहीं है कि सारी शादियों में ऐसा होता है। ज्यादातर विवाह तो सफल रहते हैं परन्तु कुछेक लोग ऐसे गिरोहों के झांसे में भी आ जाते हैं।
एक आंध्र प्रदेश है जहाँ पढ़ी लिखी और अच्छी खासी कमाती 1 करोड़+ दहेज का रेट चलता है और एक ये शहर है जहाँ कम पढ़ी लिखी लड़कियों के लिये भी दहेज देना होता है………. लड़के के परिवार वालों को है ना मजेदार बात!!
Last post….. शम्मी कपूर की दीवानी मेमसाब से मिलिये।
कुश said
बात तो काफ़ी गंभीर है
mehek said
kya kahu kuch samajh nahi aa raha,ek hi bharat varsh mein kahi dehez de rahe hai kahi le rahe hai,ladkiyon ki sankhya ki kami shayad rajadthan ke alawa ab aur bhi jagah mehsus ho kuch aate saal mein,padhe likhe log dahez mangte hai,wo bhi jab ladka na kamata ho,iss pratha ko band hone mein na jaane aur kitne saal lagenge.
Suresh Chandra Gupta said
यह तो सप्लाई और डिमांड की बात हो गई. जहाँ कन्याओं की कमी है वहां उनके माता-पिता दहेज़ लेते हैं. जहाँ यह कमी नहीं है वहां कन्याओं के माता-पिता को दहेज़ देना पड़ता है.
neelima said
यहाँ एक गंभीर सामाजिक समस्या है !अंतर्जातीय प्रेम विवाह इस तरह की समस्याओं का बेहतर इलाज हो सकते हैं !
संजय बेंगाणी said
यह एक सामाजिक समस्या है. दोनो ही स्थितियाँ स्वागत योग्य नहीं. मगर है जरूर, और हम मूक दर्शक भी हैं.
Dr Anurag said
बिन लड़की के घर घर नही रहता .एक परिवार की सम्पूर्णता के लिए एक लड़की का होना जरूरी है…आपने जो वाक्यात बताये है यदा कदा अखबारों में पढ़ा है उनके बारे में …पर कुछ प्रश्न विचारणीय है
raviratlami said
छत्तीसगढ़ के कुछ जनजातीय परिवारों में भी कन्या को अच्छा माना जाता है. क्यों? वहां आदमी आमतौर पर शराब-बीड़ी पीते हुए अलाली का जीवन बिताता है और औरतें घर-खेत-खलिहानों में काम करती हैं.
SHUAIB said
अभी परसूं की बात है मेरी छोटी बेहन की शादी हुई और वो भी झट मंणी पट बियाह।
लडके वालों ने हमसे एक पैसा भी नहीं लिया और मेरी अम्मी जो दहेज का सामान जमा जमा कर रखी थीं, वो भी लेने से इनकार करदिया कि हमारे पास पहले से है।
यहां तक कि शादी की दावत भी लडके वालों ने खुद अपने खर्च पर किया।
मेरी बडी बेहन की शादी भी कुछ ऐसे ही हुई थी।
आज अपनी दोनों बेहनों को खुश देख मेरा मन खुशी से रोने कर रहा है।
मैं अपनी बेहनों की शादीयों के लिए जो रात दिन मेहनत करता था, अपने आप पर कंजूसी करके पैसा बचाता था।
दोनों लडके ऐसे मिले कि अचानक आए और मेरी बेहनों खामोशी से अपने खर्चों पर बियाह कर ले चले गए आज दोनों बेहनें बहुत खुश हैं।
हमारे रिश्तेदार हैरान हैं कि कैसे इतनी आसानी बढिया शादी होगई ना कोई डिमांड ना ड्राफ़्ट।
सागर नाहर said
@ शुएब भाई
आपकी बहन का जीवन सुखी रहे यही कामना है। जब आपकी दोनों बहनों के ससुराल वालों ने अपना बड़प्पन दिखाया है, मैं सोचता हूँ शुऐब भाई अब इससे ऐसा ही कुछ कदम उठायेंगे।
@ महक
चिन्ता ना करें, बहुत जल्द यह दहेज प्रथा बंद होगी। जिस तरह मादा भ्रुण हत्याएं हुई है या हो रही है लड़कियों का प्रतिशत और भी कम हुआ तो लड़के वालॊं को दहेज देना पड़ेगा।
चिन्ता की बात यह जरूर होगी कि इसमें लड़की को कोई फायदा नहीं होगा, उसकी राय पूछी भी नहीं जायेगी। पैसे वालें लोग अपने अयोग्य लड़कों के लिये भी ज्यादा पैसे खर्च कर दुल्हन खरीद लेंगे।
@ संजय भाई, सुरेश चन्द गुप्ता जी और कुश..
सचमुच गंभीर समस्या है। मेरे एक मित्र ने जैसे तैसे पैसे जो कर १.५० लाख रुपये दे कर दो- दो बार शादी की और पहली पत्नी विवाह के चौथे ही दिन माल मत्ता ( जो कुछ बचा था) समेट कर भाग गई।
दूसरी के लिये फिर बेचारे ने पैसे उधार लेकर शादी की, उसके तो बच्चे भी हुए और वह भी बच्चों और पति को छोड़कर गायब हो गई।
सागर नाहर said
@ नीलिमाजी
यही बात जब में अपने समाज की मीटिंगो में कहता हूं तब मुझे चुप करा दिया जाता है कि बड़े आये समाज सुधार करने वाले… ना जात का पता ना किसी और का और अन्तर्जातीय विवाह करेंग… फिर भी कई घरों में ऐसी लड़कियां धोखे से आ गई है जो जैन नहीं है। जब में उनका उदाहरण देता हूँ तब सब मुझ पर टूट पड़ते हैं। 😦
@ डॉ अनुराग
आपके कहे अनुसार.. मेरा घर भी घर नहीं है। हमारा दुर्भाग्य कि मेरे यहां भी बेटी नहीं है। 😦
सागर नाहर said
@ रवि रतलामी जी
यह कुप्रथा छत्तिसढ़ में ही नहीं भारत के कई राज्यों में है। छत्तीससगढ़ में तो स्त्रियों को खेतों में ही काम करना पड़ता है। परन्तु राजस्थान के कुछ इलाकों और दुसरे कई राज्यों में तो अपनी बेटियों और पत्नियों से वेश्यावृत्ति तक करवाई जाती है , और पुरुष अपनी बेटी/पत्नी के लिये ग्राहक लेकर आते हैं। और इस कमाई के पैसों से शराबखोरी करते हैं और जुआ खेलते हैं। 😦
hemjyotsana "Deep" said
आशा ही जीवन हैं , हमे भी उम्मीद है एक दिन सब ठीक होगा ,
पर आपका लेख पढ़ अपनी एक रचना याद आ गई जो मैंने भारत में लड़कियो और महिलाऒ के हाल पर लिखी थी ।
कल्पनायें सारी जीवन की सोच बन कर रह गई ।
जिन्दगी मुझ पर मैं जिन्दगी पर बोझ बन कर रह गई ।
महल टूटे सारे आरजू हर रेंत का ढेर बन कर रह गई ।……….
सभी रखते हैं ध्यान साथ निभाते हैं सभी ,
जिसे उठाया सबने मैं वो जिम्मेदारी बन कर रह गई ।….
सुन सको तो सुनो , हर आवाज़ मैं सुनाई देती हूँ ,
मेरी आवाज़ ख़ामोशी बन कर रह गई ।………..
काश ये खामोशी की दर्द भरी आवाज सब तक पहूँचे ।
सादर
Abhishek said
दोनों ही स्थितियां समस्या है… पर समस्या का समाधान तो होना ही है आज न कल… यही उम्मीद कर सकते हैं.
gyanpandey said
हर नौजवान दहेज प्रथा के खिलाफ जोर शोर से बोलता है, पर जब खुद की शादी का मौका आता है तो अपने पेरेण्ट्स की “भावनाओं का आदर” करने लग जाता है।
बहुत देखे हैं ऐसे चरित्र।
ranju said
यह तो और भी गंभीर समस्या है …
समीर लाल said
निश्चित ही इस समाजिक बुराई से उबरना होगा.हमारे परिवार में इस प्रथा से तीन जनरेशन पहले ही विदा ले ली है.
neelima sukhija arora said
ji, bilkul dahej jaiise samasayaa ka hal hamin logon ke haath mein hai
डा० अमर कुमार said
अज़ी, समाज की दुहाई दे देकर यह सब ढोते रहेंगे, तो हो चुका ?
इस ख़ाक़सार ने जब पहल की, तो इसी समाज ने मेरे दिमाग के पेंच-पुर्ज़ों के साबूत होने पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया था !
पेरेन्ट्स की भावनाओं का आदर ? वह तो मैंने भी किया था, ढाई वर्ष की गाँधीगिरी से उनको झुका कर !
तो, यह आपके संकल्प और इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है, कि आप समाज के कुरीति के लहँगे में छिप कर अपनी सफ़ाई देते हैं,
या फिर सीधे खुल्ले में आकर अपना सोचा कर डालते हैं !
अनिता कुमार said
लड़कों के माता पिता अपने सकुंचित विचारों के कारण इस त्रासदी का शिकार होते हैं। क्या जरुरत है अपनी ही जात की लड़की की। अब तो कई प्रातों में मां बाप दूसरे प्रांतों से दूसरी जात की लड़की ला कर भी शादी कर रहे हैं ।
Shama said
Sagarji ,
Aapki tippaneeke liye bohot, bohot shukriya ! Isee bahane maibhi pehli baar aapke blogpe aayee..aur kaafi der padhatee rahi…kaafi kuchh. Comment,halanki yaha chhod rahee hun!!
Sadiyonse hamare deshme grihlaxmee ko daasi mana hai…kanya ko bojh samajha hai, padhe likhe (jinhe mai sirf sakshar kahungi)aajbhee yahi manyata nazar aati hai.Bohot kam baar ladikaa janm ek samaroh hota hai.
Shama
Rohit Tripathi said
Mere khyal se badlaav ho raha hai.. aaj ki yuva peedhi thodi dahej pratha se hat rahi hai lekin kitne keval 100 mein se 5…. samasya gambhir hai…lekin kya kare itni lambi list ho gayi hai samasyao ki kuch karne ka mann hi nahi kar raha hai…
New Post – Roz Roz Aankhon Tale : My Favorite
दीपक said
बात तो बहुत गंभीर है..यह प्रश्न बरसों से हमारे समाज मे कायम है. इसका निदान उतना आसान नही है जितना कि भारत को स्वाधीन कराने मे हुआ था. हमें अभी भी याद है जब हैदराबाद के मौलाली नगर मे पुलिस वालो ने यह कह कर हमे एक परिवार को समझाने से भगा दिया था कि ये उनका निजि मुआमला है.
अपितु, यह निश्चय ही सम्भव है जब हमारे पत्रकार भाई, टी वी वाले भाई… उस तरह इस समस्या के पीछे पड जाये जिस तरह से आरूषि हत्याकांड के पीछे पडे हैं.
सागर भाई, एक बार फ़िर याद दिलाने के लिये धन्यवाद.
umesh kumar said
…स्थिति विस्फोटक है…हर एक को गम्भीरता से सोचना होगा…
anujulka said
hallo sir ! thanx fr visiting my blog n encouraging me.thanx a lot. Punjab ke jis area mein main rehti hoon yahaan toh bahut jiada dowry practice hoti hai. govt. is doing nothing. moreover ppl r very rich bt is sab ka asar toh garib logo per parr raha hai.
no one said
yes,this is a very good topic & people who are doing this should stop this . i am very impressed by this.