॥दस्तक॥

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं

नीलिमाजी, मेघदूत और खुल्लम खुल्ला प्यार

Posted by सागर नाहर पर 21, जुलाई 2007

Meghdoot

यह कार्टून समर्पित है नीलिमाजी को उनकी पोस्ट

खुल्लमखुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों…..

के लिये। उनकी इस  पोस्ट पर टिप्प्णी करने की बजाय यह तरीका ज्यादा अच्छा लगा। 🙂

इस कार्टून के बनाने के तीन मिनिट के बाद १७ लोगों ने इसे देखा और तीन टिप्प्णीयाँ मिली।

18 Responses to “नीलिमाजी, मेघदूत और खुल्लम खुल्ला प्यार”

  1. Amit said

    ही ही ही, पत्र गीले हो गए, ही ही ही!! 😀

  2. हा हा, सही है! मस्त!!!

  3. 🙂

    sahee hai. naa ho to orkut me^ scape likhe.

  4. badhiya laye prabhu

  5. हा हा हा… सही है… 😛

  6. bhuvnesh said

    सही है गुरू. 🙂

  7. हा हा हा बहुत खूब [:)]

  8. सही है!

  9. हा हा!!
    बहुत सही-काफी शोध करके कार्टून बनाया है. 🙂

  10. Shrish said

    झकास! 🙂

  11. divyabh said

    🙂 🙂 क्या पकड़ा है…सही है सर्…।

  12. बहुत बढिया!

  13. neelima said

    वाह बहुत सही कार्टून बनाया है ! हमारे चिट्ठे का ट्रेफिक भी बढवा डाला आपने तो ..:) वैसे यह तो संक्रामक डीजीज है देखा फैल गई न ? 😉

  14. abhi traffic thodi aur badhegi, waise aaj down rahegi sunday jo hai 🙂

  15. kyaa baat hai . shaandaar!

  16. mamta said

    लाजवाब …

  17. arun said

    अब हमने भाइ इतना पंग वाला काम तो नही किया था..:)

  18. आपके कार्टून की इतनी ज्यादा चर्चा चल रही है जितनी तो अगर आप किसी संयोगिता तो को भगा ले जाते तो होती. इसी लिए मुझे भी बराती बन कर आना ही पडा.

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