पलाश की चाय और दस्तक के पाँच साल
Posted by सागर नाहर पर 12, मार्च 2011
बीस फरवरी को मेरी दो भांजियों के विवाह के लिए नागपुर जाना हुआ। विवाह में मम्मीजी के मामाजी ईश्वर लालजी श्रीमाल भी आए थे और यहीं मुलाकात हुई उनके मामाजी के सुपुत्र यानि मम्मीजी के मामाजी (मेरे नानाजी) और नागपुर निवासी डॉ शान्तिलाल जी कोठारी से।
डॉ शान्तिलालजी Academy of Nutrition Improvement के President हैं। समाज सेवा के साथ- साथ आप HIV/Aids के रोगियों के लिए भी बहुत काम करते हैं। बातों बातों में पता चला कि डॉ कोठारी की एक छोटी सी फेक्ट्री भी है जिसमें वे सोयाबीन का दूध बनाते हैं। नानाजी डॉ कोठारी ने हमें उनकी फेक्ट्री में आने का न्यौता दिया तो मैं , चाचाजी , मौसाजी और एक मित्र, चारों वर्धा रोड़ स्थित उनकी फेक्ट्री पर पहुँच गये। (/span>
नानाजी से बातें करते कई आश्चचर्यजनक बातें चली मसलन सोयाबीन को अगर उचित प्रोसेस के बिना आहार में शामिल किया जाये तो वह बहुत ही हानिकारक हो सकता है। एक सुप्रसिद्ध स्वास्थय पत्रिका में छपा एक लेख बताया जिसमें सोयाबीन को सीधे पीस पर उसका दूध बनाकर दही और पनीर बनाने कर उसका सेवन करने पर स्वास्थय लाभ होता है। डॉ कोठारी ने बताया कि उपरोक्त लेख को पढ़कर स्वास्थय पत्रिका को नोटिस भी दिया है कि या तो वे साबित करें कि इस तरह से सोयाबीन के सेवन से स्वास्थय लाभ होता है या फिर पाठकों को गलत जानकारी देने के लिए अगले अंक में क्षमा मांगे।
अचानक मेरी नजर टेबल पर रखे कुछ पैकेट्स पर पड़ी जिसमें सूखे फूलों की पंखुड़िया रखी थी। मैं उन्हें उठा कर देख रहा था जिस पर लिखा हुआ था पलाश की चाय! पलाश तो हमारे यहाँ बहुतायत होता है उसके सूखे फूल तो बोरियां भर कर मिल सकते हैं, हमारी बात का विषय अब पलाश और लाखोड़ी दाल पर आ गया। डॉ साहब से पता चला कि लाखोड़ी दाल भी बहुत लाभप्रद होती है लेकिन दुष्प्रचार की वजह से अब उसका सेवन बहुत कम हो गया है। महुआ के फूल भी बहुत लाभप्रद होते है लेकिन महुआ से शराब भी बनती है और इस वजह से हमने उसके गुणों को पहचानने की कोशिश ही नहीं की। हरी सब्जियों में तरोटा ( हिन्दी नाम पता नहीं) स्वास्थय के लिए पालक से भी ज्यादा लाभप्रद होता है।
डॉ साहब ने वहाँ काम कर रही एक महिला को कुछ इशारा किया और कुछ देर में पलाश की बनी चाय आ गई। यह चाय पीले रंग की थी। चाय का पहला घूंट भरते ही जो आनन्द मिला उसका वर्णन यहाँ कर पाना मुश्किल है। इतना स्वादिष्ट और स्फूर्तिदायक पेय पलाश जैसी मामूली चीज से बनता है और हमें पता ही नहीं।
बातें बहुत करनी थी बहुत सी चीजों की जानकारी लेनी बाकी थी लेकिन समयाभाव के कारण हमें वहाँ से जल्दी निकलना पड़ा। पूरे रास्ते हमारी बातों का विषय यही रहा कि कैसी अद्भुद चीजें हमारे आस-पास है लेकिन हम जानते ही नहीं और उनकी अवेहलना करते हैं।
संबधित कड़ियाँ
http://www.indiatogether.org/2006/aug/hlt-iodised.htm
http://www.virusmyth.com/aids/news/indiaconfrep.htm
इस पोस्ट के साथ ही हिन्दी चिट्ठाजगत में दस्तक के पाँच साल पूरे हुए , आप सभी के सहयोग के लिए धन्यवाद।
फोटो indiatogether.org से साभार
अन्तर सोहिल said
दस्तक के पाँच साल पूरे होने पर बधाई
सही कहा आपने
कितनी अद्भुभुत चीजें हमारे आस-पास है लेकिन हम जानते ही नहीं
प्रणाम
Archana said
अद्भुत जानकारी साझा करने के लिए आभार…..साथ ही बधाई दस्तक के पाँच वर्ष पूर्ण होने पर……
L.K said
bahut sundar post bhaiya…
chaay banane ki koshish karungi …
aap achche honge …
Suresh Chiplunkar said
बेहद ज्ञानोपयोगी जानकारी दी है आपने…
हिन्दी ब्लॉगिंग के 5 वर्ष पूर्ण करने पर बधाईयाँ और आगामी 50 साल के लिये शुभकामनाएं 🙂
आप जैसों को देखकर ही तो सीखे हैं हम… आप लगे रहें बस, बीच-बीच में गायब होने की “गंदी आदत” त्याग दें…
पुनश्च : हार्दिक शुभकामनाएं… आपसे मिलने आ रहा हूं हैदराबाद (21 मार्च को) 🙂
Gyandutt Pandey said
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें मित्रवर।
और यह पलाश की चाय तो आजमाने का यत्न करेंगे!
रवि कुमार said
पांच साल…और पलाश की चाय…
बेहतर…
Lavanya Shah said
Badhayee ho 5 Saal poore karne per .
Yehan USA mei Soyabeen se banee bahut saree cheezon ko roz hee khaya jaata hai
Palash ki chai ke bare mei pehlee baar suna — Ye kya sabzee hai ? —-> [ तरोटा ( हिन्दी नाम पता नहीं ]
I am sure the manufacturing process is strictly observed.
ePandit said
पुरानी यादें ताजा करा दी आपने आखिरी लाइन से। आप पाँच ही नहीं अगले पचास साल भी चिट्ठाकारी में सक्रिय रहें यही कामना है।
Aflatoon अफ़लातून said
सोयाबीन की बाबत यही बात उसकी सीमा का भी द्योतक है । किसी भी रूप में घर में सीधे सेवन नामुमकिन है। न दाल और नही दूध और नहीं उसकी खली की बड़ी- यह सब घर में किसान द्वारा नहीं बनाये जा सकते ।
छठे वर्ष में प्रवेश पर ’दस्तक’ को सस्नेह शुभ कामना ।
प्रभात टन्डन said
पलाश की चाय , पहली बार सुना , स्वाद आपके द्वारा जाना , अब तो तलाश है पलाश की , कुछ खास बात होगी अवशय 🙂
ब्लागिगं जगत मे ५ वर्ष पूरे होने पर बहुत-२ बधाई और शुभकामनायें .
anitakumar said
अद्भुत जानकारी साझा करने के लिए आभार…..साथ ही बधाई दस्तक के पाँच वर्ष पूर्ण होने पर……
अनूप शुक्ल said
बड़ी अच्छी जानकारी।
ब्लागिंग के पांच साल पूरा करने के लिये बधाई! तमाम सारी बातें याद आ गयीं। ब्लागिंग छोड़ने को टंकी पर चढ़ने का नामकरण आपके द्वारा ब्लागिंग छोड़ने की बात कहने से ही शुरु हुआ। 🙂
संजय बेंगाणी said
5 वर्ष…. एक लम्बा समय है. बहुत बहुत बधाई व आगे के लिए शुभकामनाएं.
नेट पर हिन्दी को बढ़ाने में चिट्टःओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. आप लम्बे समय से इससे जुड़े हुए हैं, साधूवाद.
Nitin Bagla said
बहुत दिन बाद दस्तक दी आपने !
पाँच साल पूरे करने की बधाई |
ghughutibasuti said
बहुत बहुत समय बाद दिखे, वह भी पलाश की चाय के साथ! देशी वनस्पतियों के उपयोग व् गुणों की जानकारी को एक जगह सम्भालना आवश्यक है.
घुघूती बासूती
ghughutibasuti said
दस्तक के पाँच साल पूरे होने पर बधाई.
घुघूती बासूती
shalini kaushik said
bahut achchhi jankari aapne bahut hi sahjta se dee hai.
nahar ji ,
aapne blog par jo shabd likhe hain ve maine aaj taq kuchh yun sune hain aur main kah sakti hoon ki ve hi sahi hain.
“girte hain shahsawar hi maidan-e-jang me,
vo tifl kya girenge jo ghutno ke bal chale.”
kavita said
sagarji sabse pahle to blogging ke 5 sal poore karne par badhai…..aap itani achchhi jankariyan le kar aate hai…aapki janane ke jigyasa anant hai…itani adbhut jankari ke liye dhanyavad.
rashmi ravija said
बहुत ही उपयोगी जानकारी मिली….सोयाबीन का आटा तो मैं हमेशा गेहूँ के आटे में मिक्स करती हूँ..१० किलो गेहूँ में एक किलो सोयाबीन….उम्मीद है,इससे कोई हानि नहीं होती होगी.
ब्लॉग के पांच वर्ष सफलता पूर्वक पूरा करने की बधाई
sagarnahar said
रश्मिजी, जब मैं डॉ. कोठारी के अनुसार तो गेहूँ में सोयाबीन मिलाना स्वास्थय के लिए लाभप्रद नहीं है, क्यों कि इसको सीधे खाना स्वास्थ्य के लिए कुछ हद तक हाणिकारक होता है। हाँ सोयाबीन की बजाय आप देशी चने और जौ गेहूँ के साथ पिसवा कर उसके आते से बनी रोटियाँ खाएं तो बहुत ही अच्छा होगा। यह डॉ साहब की भी राय थी और मैने “निरोगधाम” में भी इस बारे में पढ़ा था।
सागर चन्द नाहर ॥दस्तक॥ , तकनीक दस्तक, गीतों की महफिल
सागर नाहर said
रश्मिजी,
धन्यवाद
जब मैं डॉ. कोठारी के अनुसार तो गेहूँ में सोयाबीन मिलाना स्वास्थय के लिए लाभप्रद नहीं है, क्यों कि इसको सीधे खाना स्वास्थ्य के लिए कुछ हद तक हाणिकारक होता है। हाँ सोयाबीन की बजाय आप देशी चने और जौ गेहूँ के साथ पिसवा कर उसके आते से बनी रोटियाँ खाएं तो बहुत ही अच्छा होगा। यह डॉ साहब की भी राय थी और मैने “निरोगधाम” में भी इस बारे में पढ़ा था।
Dr. Ajit Kumar said
सागर भाई, सोयाबीन के बारे में जाना. पर लगता है, इस विषय पर एक शोधपरक विवरण लिखने की जरुरत है. वैसे पलाश की चाय… अहा.. मजा आ गया.
chandan hassan said
Mahua,tarota,palash,lakhodi daal aur soyabean ke guuno ke baare main batane ke liye sukriya.Kripya ispar aap ek bada lekh likhen.
vanita singh said
paanch saal pura hone ki bahut bahut badhai.Umeed hai ki aap 50 bhi pura karenge.
basant d jain said
सागरभाई सबसे पहले तो मै भी औरोँ की तरह आपको बधाईयाँ दूँगा चिट्ठाजगत को पाँच वर्ष पुरा करने की और आगे आने वाले वर्षोँ के लिये शुभकामनाऐँ दूसरा आपसे शिकायत ये है कि आ प लंबे समय के लिये गायब हो जाते हैँ लेकिन देरी से आ के भी छा जाते हैँ हमे हमेशा आप के माध्यम से नयी नयी जानकारीयाँ मिलती रहेगी ऐसी आशा करता हूँ पुनश्च धन्यवाद , पलाश की चाय पिलाने के लिये और सोयाबिन की जानकारी देने के लिये धन्यवाद सागरभाई आपकी पोस्ट मै यहाँ सबको पढाता हूँ और सब लोग जो आपको जानते है ईन्टरनेट पे आपको देख के बहुत खुश होते हैँ……
tulika sharma said
palash ki chai banane ka tarika bhi kripaya batayen , isse hone wale labh bhi.
अतुल शर्मा said
और आज छ: साल भी हो गए। बधाइयाँ।
पलाश की चाय की बस कल्पना ही कर रहा हूँ। काश आप विधि भी बताते।