चित्र पहेली
Posted by सागर नाहर on 7, सितम्बर 2006
बहुत दिनों के बाद एक बार फ़िर लेकर आ रहा हूँ चित्र पहेली! हाँ तो मित्रो यहाँ प्रस्तुत है दुनियाँ के सबसे अजीब वृक्ष के कुछ चित्र जो भारत में बहुत कम पाये जाते हैं, ( मेरी दृष्टि में इसके भारत में सिर्फ़ तीन पेड़ है और वह तीनों ही सुरत ( गुजरात में) में है। चुँकि यह पेड़ भारत के अन्य प्रदेशों में नहीं पाया जाता है, इस लिये इस का हिन्दी में नाम भी पता नहीं है, पर गुजराती में इसे ” गोरख आंबली“ कहा जाता है। यह वृक्ष अफ़्रीका में बहुतायत पाये जाते हैं।
शायद इस वृक्ष को हमारे चिट्ठाकारों के समूह में डॉ सुनील जी एवं मेरे सिवाय किसी ने नहीं देखा होगा पर इस बारे में अगर पढा़ हो तो दौड़ायें दिमाग। और हाँ इस वृक्ष की विशेषतायें इतनी कि गिनना मुश्किल! इस वृक्ष केलगभग 1800 से 2000 उपयोग हैं।
तो बताईये मित्रों इस वृक्ष का नाम क्या है और इस की विशॆषताएं क्या है?
पंकज् बेंगाणी said
क्या बात है!!! मै इत्ते साल सुरत मे रहा और मुझे ही पता नही?
समीर लाल said
मै भी सूरत गया हूँ मगर आप को तब जानता नही था वरना इस वृक्ष के दर्शन हो जाते.
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
खोज बहुत ही अच्छी है आशा है कि वृक्ष के गुणो के साथ आप जल्द ही आयेगे इन्तजार रहेगा
उन्मुक्त said
सर के ऊपर से निकल गया।
SHUAIB said
अरे भाई क्या ज़बरदस्त उगाए हो
राजीव said
भाई नाहर जी, मेरा ज्ञान तो इस बारे में कुछ नहीं परंतु इस वृक्ष और विशेष उपयोगों के बारे में जानने की उत्सुकता अवश्य है।
vijay wadnere said
ओ भीया,
हाँ बोत सई पेड़ हेगा जे वाला तो…और इसके कने जाओ तो अपनी डंगालों से पकड्लेता हेगा कस के. और खा जाता हेगा.
जे पेड़ तो हम्ने देखा हुआ हेगा, और बो भी अपने हरिराम पोत्दार की पिच्चर में.
क्या कहा? कौन हरिराम पोत्दार? अरे वोही -अपना हैरी पौटर.
🙂
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
जल्दी बताइये सब्र नही हो रहा है
renu ahuja said
नाहर जी,
पहली बात तो हम किसी भी सूरत में – ‘सूरत’ तक नहीं पहुंच पाए,
बस अहमदावाद देखा था कभी, और बहुत ही भले माणस लगा अपना गुजरात…..आते आते वहां से एक गुजराती गीत सुनते आए थे……कैम नाही झूंमू कि लावी छे लगन ……एसा सा था कुछ,..ये बचपन की बात है,
अब पेड़ की एसी पिक्चर लगा दी है,और एसा लिखा है, आपने कि हर सूरत में ‘सूरत’ जाने की इच्छा है, ………….जब तक ना पंहुचे, तो पेड़ दिमाग में अटका रहेगा, एसी सूरत में इतने बड़े पेड की टेंशन…….किसी सूरत में बर्दाशत करना ठीक नहीं, अत: आप कॄपया करके..पेड़ पुराण की कथा की पूर्णाहूती करे..!
-रेणू आहूजा.
सागर चन्द नाहर said
बस आज की रात इंतजार कीजिये प्रमेंद्रजी, रेनू जी एवं सभी मित्रों,
कल जब इस पहेली का हल मिलेगा तो आफ दाँतो तले अंगूली दबा लेंगे, ध्यान रहे ज्यादा जोर से ना दबा लें वरना……..।
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
सागर चन्द नाहर आपका दिया गया समय समाप्त हो गया क्योकि आपकी अखिरी डिप्पडी कल दोपहर 2:58 पर आपने कहा था कि आज रात की बात कही थी मगर अब कल रात अर्थात आज 9 तरीख है। मगर आपका जवाब नही आया जबकि मै उत्तर के लिये 10 वार दस्तक पर दस्तक दे चुका हू। यह ठीक नही है वादा कर के न निभाना। आपके पाठक रूठ जायेगे। 🙂
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
आप तो बता नही रहे हो मै तो सुनील जी के पास जा रहा हूं। 🙂