जबरिया चिठ्ठा चर्चा
Posted by सागर नाहर पर 2, नवम्बर 2006
किसी ने कहा नहीं चिठ्ठा चर्चा करने को पर नारद पर किसी वजह से रात से चिठ्ठे नहीं दिख पा रहे थे सो चिठ्ठा चर्चा में अनूप जी उनकी चर्चा नहीं कर पाए तो मैने सोचा क्यों ना आज मैं भी एक बार सबके गले पड़ लूं, ज्यादा सर चढ़ाया ना अब भुगतो 🙂
अब पहली बार चिठ्ठा चर्चा कर रह हूँ सो उत्साहवर्धन की उम्मीद भी करता हूँ, जबरन ही सही ।
तो सबसे पहले रितेश गुप्ता जी आँसू के बारे में अपनी भावनायें व्यक्त करते हुए कहते हैं
आँसू…..
ये निर्मल ह्रदय की पीड़ा हैं
ये फ़ुऱ्कत प्रेम के आँसू हैं
अपने मीडिया वाले साथी बताते हैं कि उनका पिछला हफ्ता कैसे गुजरा टीवी पर (24 अक्टूबर -1नवंबर ) आप कहते हैं
फांसी की दरकार की बात थी। सो कोर्ट ने कही दी जाए। संतोष को फांसी जी जाए। सुशील शर्मा के साथ रखा जाए। कौन सुशील। तंदूर कांड वाला भई। देखिए टीवी इतिहास को कितना कम याद करता है। केवल जीत न्याय की नहीं, भावना की हुई। लोकतंत्र में लड़ते रहने की हुई।
वैसे एक बात दिखी अपने ज्यादातर मीडिया वाले चिठ्ठाकार भाई बहन अपनी बात को एक ही पैरा में पूरी करते हैं चाहे पाँच लाइनो का लेख हो या तीस, पैरा तो एक ही रहता है।
सागर नाहर दस्तक पर बताते हैं कि कैसे रोते हुए बच्चे को मनाया जाये, वे इस लेख मैं Make a wish संस्था के बारे में बताते हैं कि कैसे इस संस्था का उदय हुआ जो अपनी जिंदगी के अंतिम पल जी रहे बच्चॊं की अंतिम इच्छा पूरी कर रही है
एक शाम तेरे नाम पर मनीष भाई अपनी पचमढ़ी यात्रा का वर्णन बताते हुए कहते है कि कैसे उन्हें मध्य प्रदेश की सड़कों ने दुखी कर दिया
अगले एक घंटे में ही मध्य प्रदेश की इन मखमली सड़कों पर चल चल कर हमारे शरीर के सारे कल पुर्जे ढ़ीले हो चुके थे । और बचते बचाते भी जीजा श्री के माथे पर एक गूमड़ उभर आया था अब हमें समझ आया कि उमा भारती ने क्यूँ सड़कों को मुद्दा बनाकर दिग्गी राजा की सल्तनत हिला कर रख दी थी । खैर जनता ने सरकार तो बदल दी पर सड़कों का शायद सूरत-ए-हाल वही रहा।
डॉ रमा द्विवेदी अनूभूति कलश पर सच्चे प्रेम का मूल्य बताती है
नहीं समझ पाता कोई?
फिर भी वह करता है प्रेम जीवन भर,
सिर्फ इसलिए कि-
प्रेम उसका ईमान है,इन्सानियत है,
पूजा है॥
अनूप भार्गव जी अपनी पसन्द के निदा फ़ाजली के दोहे सुना रहे हैं
बच्चा बोला देख कर,मस्जिद आलीशान
अल्ला तेरे एक को, इतना बड़ा मकान
अंत मैं सुखसागर पर अपने अवधिया जी बताते हैं कि कैसे हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष का जन्म हुआ?
जय और विजय बैकुण्ठ से गिर कर दिति के गर्भ में आ गये। कुछ काल के पश्चात् दिति के गर्भ से दो पुत्र उत्पन्न हुये जिनका नाम प्रजापति कश्यप ने हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष रखा।
आज की टिप्पणी
उड़नतश्तरी, एक शाम तेरे नाम पर
मनीष भाई
जानकर दुख हुआ कि मध्य प्रदेश की सड़कों ने आपको तकलीफ पहुँचाई. अगली बार जाऊँगा तो डाटूंगा जरुर. वैसे आप बार बार जाया करो, फिर शिकायत नहीं रहेगी. इससे सड़क तो वहां ठीक नहीं होंगी मगर वैसी सड़कों पर चलने की आपकी आदत पड़ जायेगी.:)
आगे जारी रहें, वैसे भी आप पचमड़ी देखने गये हैं कोई सड़कें थोड़ी. 🙂
आज की फ़ोटो
एक शाम तेरे नाम से
संजय बेंगाणी said
चर्चा का रोग आपने भी लगा लिया !? बधाई.
मनीष said
नाहर भाई आप भी कूद पड़े मैदान में ! जबरिया क्यूँ नियमित रूप से कीजिए भाई । पर आजकल आपकी सक्रियता परिचर्चा पर कम हो गई है । बहुत दिन हो गए आपकी पसंद का शेर सुने हुये ।
समीर लाल said
वाह सागर भाई
बहुत खुब, आपका तो नेट प्रेक्टिस में प्रदर्शन बेहतरीन हो गया, अब मुख्य मैदान में आ जायें. कौन सा दिन आपके नाम किया जाये? फुरसतिया जी को बता दें. 🙂
अनूप शुक्ला said
बहुत अच्छे! अब नियमित लिखने का मन बनायें. मैं देबाशीष को बोलता हूं कि तुमको निमंत्रण भेजें.
आओ मैदान में लिखो नियमित.
उन्मुक्त said
क्या बात है।
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह said
बहुत अच्छा सागर भाई अगले बार से मेरे चिठ्ठो को मत भूलिये गा।
लगता है आज नारद जी को चिगनगुनिया (भगवान न करे ऐसा हो) हो गया है। लगता है डा0 साहब के लेख को पढ कर इलाज नही किया। अन्यथा ठीक हो गया होता। आज तो मेरे ब्लाग पर पूरा का पुरा सन्नाटा हो गया, कम से कम ईमेल से एक दो बन्धु आ तो जाते थे, पर अब उस पर भी प्रतिबन्ध लग गया है। 🙂
राजीव said
बहुत खूब नाहर जी। लगता है चर्चाकार दल को एक और कुशल सहयोगी मिल गया। अब तो आप को औपचारिक रूप से पद-भार ग्रहण कर लेना चाहिये। हमारे अन्य चर्चाकारों को कुछ राहत भी मिलेगी।
SHUAIB said
वाह नाहर जी बधाई और धन्यवाद
अब आपको असली मैदान मे भी उतरना होगा
जी हां कल शाम को शायद नारद जी की तबियत खराब थी 😉
प्रियंकर said
अभ्यास मैच में आपकी बैटिंग अच्छी रही . अब बस चयन के लिए और असली पारी खेलने के लिए तैयार रहिये .
रवि said
…अब नियमित लिखने का मन बनायें…????
अब जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो नियमित लिखना ही होगा. सप्ताह का कोई दिन सागर जी के लिए नियत किया जाए. 🙂
सम्पादाक said
ऐसे सारे हिन्दी चिट्ठों की प्रविष्टियां आप यहां देख सकते हैं या इस चिट्ठे की RSS फीड ले सकते हैं। यह सारी प्रविष्टियां भारत में रात के ८ से ९ के बीच में होती हैं।
सागर चन्द नाहर said
आप सभी मित्रों का प्रोत्साहन वृद्धि के लिये हार्दिक धन्यवाद…. मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाने के लिये शायद अभी वक्त लगेगा।
एक बार फ़िर धन्यवाद
Kajal Kumar said
चलो ठीक है
कभी कभी ही सही
पढ़ कर अच्छा लगा