॥दस्तक॥

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं

हेमंतदा के प्रशंषकों के लिये एक दुर्लभ गाना

Posted by सागर नाहर पर 3, जुलाई 2007

यूनूस भाई और सुरेश चिपनूलकर जी के बाद अब मुझे भी आपको गाने सुनवाने का शौक हुआ है, पहली कोशिश तो असफल रही क्यों कि नारद से लिंक खुलता नहीं था, पर अब एक बार फिर से  गाना सुनवाने का मन हुआ है और आपके लिये एक बहुत ही दुर्लभ गाना लेकर आया हूँ।

हेमंत कुमार ने संगीतकार के रूप में जितनी मधुर धुनें दी थी बतौर गायक उतने ही मधुर गाने गाये। यहाँ प्रस्तुत गाना  फिल्म पहली  झलक (१९५४) का है फिल्म का संगीत दिया है   सी रामचन्द्र ने  और गीतकार है, राजेन्द्र कृष्ण। इस सुन्दर गाने में वाद्य यंत्रों का उपयोग बहुत कम हुआ है पर  संगीतकार सी रामचन्द्र ने बांसुरी  और तबले का उपयोग बहुत ही खूबसूरती से किया है। 

गाने के बोल नीचे दिये है और गाने को सुनने के लिये आपको यहाँ क्लिक करना होगा।

ज़मीं चल रही आसमां चल रहा है

ये किसके इशारे जहाँ चल रहा है

ज़मीं चल रही है…

चली जा रही है जमाने की नय्या

नजर से ना देखा किसी ने खेवैया

ना जाने ये चक्कर कहाँ चल रहा है

ये किसके इशारे …

ये हंसना ये रोना ये आशा निराशा

समझ में ना आये ये क्या है तमाशा

ये क्यों रात दिन कारवां चल रहा है

ये किसके इशारे …

अजब ये महफ़िल अजब दास्तां है

ना मंजिल है कोई ना कोई निशां है

तो फिर किसके लिये कारवां चल रहा है

ये किसके इशारे….

भटकते तो देखे हजारों सयाने

मगर राज कुदरत का कोई ना जाने

ये सब सिलसिला बेनिशां चल रहा है

ये किसके इशारे जहाँ चल रहा है

8 Responses to “हेमंतदा के प्रशंषकों के लिये एक दुर्लभ गाना”

  1. बहुत खूब सागर भाई पुन: देख कर अच्‍छा लग रहा है।

    गीत भी सुन्‍दर है ।

  2. sanjay bengani said

    निःसंदेह सुन्दर गीत है.

  3. सुन्दर गीत!! आभार.

  4. नीरज दीवान said

    बढ़िया गाना है.. कई दिनों बाद सुनने मिला.. रात और तनहाई में बैठे हैं.. और हेमंत कुमार के गाने .. वाह माहौल बन जाता है.

  5. yunus said

    वाक़ई दुर्लभ गीत है । मज़ा आ गया और ये भी पता चल गया कि आप छुट्टियों से लौट आए ।

  6. ब्लोगर मीट का विवरण बाकी है….

  7. mamta said

    गाना अच्छा लगा और उम्मीद करते है की आगे भी गाने सुनवाते रहेंगे।

  8. गाना अच्छा है

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