एक बार फिर छप गये ..
Posted by सागर नाहर on 28, अक्टूबर 2008
जब पहली बार हमारा अखबार में छोटा सा एक लेख क्या छपा, हम जमीन से छ: इंच उपर चलने लगे, और सीना भी चार इंच बढ़ गया था। सामने से लोगों को बतलाते, उन लोगों से मिलने जाते जिनके यहां कोई साल दो साल में भी जाने का काम नहीं पड़ता था। चाय नाश्ते की मौज उड़ा कर पूछ लेते भई जरा वो चार दिन पहले का अखबार पड़ा है क्या? उसमें से एक विज्ञापन देखना है। जब अखबार मिल जाता धीरे से पन्ने पलटाते हुए उस पेज को ले आते और जोर से कहते अरे मेरा लेख छपा है और मुझे पता भी नहीं! ये अखबार वाले भी लेख छाप देते हैं और सुचित भी नहीं करते।
यजमान लेख देख कर अपनी श्रीमतीजी को बुलाता अरे सुनती हो देखो सागरजी का अखबार में नाम और फोटू छपा है, भाभीजी कहती वाह भाई साहब क्या लेख लिखा है, भाभीजी ( निर्मला) को पढ़ाया कि नहीं? और हम शर्माने, सकुचाने का नाटक करते और जतलाते कि हमें तो पता ही नहीं कि अखबार में हम छपे भी हैं। जब कि असलीयत यह थी कई अखबार तो खुद खरीद कर बाँट चुके थे थे और कुल तीन चार सौ रुपये के तो लोगों को फोन कर चुके थे हमारे लेख छपने के समाचार को। समीरलाल जी की तरह हम भी नाई से लेकर खुद अखबार बेचने वाले को बता चुके थे कि भई हमारा लेख अखबार में छपा है।
जब अखबार के दफ्तर में इनाम लेने गये थे तब तीन जनों को साथ लेकर गये थे, ताकि लोगों को पता चले कि हमें अखबार वाले इनाम देने वाले हैं। एकदम नये और चकाचक कपड़े पहन कर हम इनाम लेने गये थे और जाकर रिशेपस्निस्ट से कहा हम सागर नाहर हैं, मानों हम बड़े जाने माने लेखक/साहित्यकार हों। और तो और गोया हमें तो इतनी उम्मीद थी कि रिशेपस्निस्ट सागर नाहर को जानती ही होगी और कहेगी अरे आप सागर नाहर हैं आपने हमारे अखबार में लेख क्या भेजा कई बड़े साहित्यकारों ने उसे पढ़ कर हमें फोन कर बधाई दी है और आपका फोन नंबर पूछा है, पर आपका नंबर हमारे पास नहीं था, खैर कोई बात नहीं आप बेठिये मैं प्रधान संपादकजी को बुलवाती हूँ। पर नहीं हमारा खयाली पुलाव उस समय जल गया तब परिचारिका ( भई बार बार रिशे.. लिखने में तकलीफ होती है न!) पूछा ” कहिये मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ? और जब इनाम में एक इंसटंट गुलाब जामुन का पैकेट और एक अचार की बोतल हमें थमाई गई तब हमारे दोस्तों के सामने एक भावी महान लेखक, ब्लॉगर और साहित्यकार का चेहरे का रंग अपने मित्रों के सामने कैसा हुआ होगा। आप समझ ही गये होंगे।
ये अखबार वाले भी ना बड़े निर्मोही होते हैं, अरे इससे तो अच्छा होता कहते कि इनाम आपके घर भेज दिया जायेगा। घर पर बहनों ने भी कई दिनों तक मजाक उड़ाई। गुलाब जामुन उडाते हुए कहती सागर तेरा लेख बहुत स्वादिष्ट था।उन्हें नहीं पता था कि इन गुलाबजामुन की मिठास में एक भावी…..:) छुपा है।
अब धीरे धीरे नेट से जुड़ने लगे तो चैट में मित्रों को बताते, उन्हें स्कैन की हुई कॉपी भेजकर पढ़ने को मजबूर करने लगे। उसके बाद जब चिट्ठे लिखने लगे, अपनी तो पौ बारह हो गई, अब मित्रों का समूह भी कई गुना बढ़ गया था। पने चिट्ठों टिप्प्पणियां भी पाँच से बढ़कर आठ तक आने लगी थी। अपने ( जबरन) सबस्क्राईबर्स (?) 🙂 की संख्या अब बढ़ती जा रही थी। अगर अखबार में संपादक के नाम पत्र भी छप जाता तो उसकी जहां पहले पाँच दस कॉपी से काम चल जाता था अब पचास सौ हो गई थी।
एक दो बार तो पोस्ट लिख कर चालीस पचास टिप्प्णीयाँ बटोर ली थी। 🙂 इतनी लम्बी राम कहानी सुनवाने का मतलब आप समझ ही गये होंगे, भई अब एक बार और शर्माने को क्यों मजबूर कर रहे हैं… भई एक बार फिर हिन्दी मिलाप के दीपावली विशेषांक में नाचीज ने एक हजार रुपयों का पहला इनाम जीता है। पहले ही यह कहानी पढ़ा कर आपको बोर कर चुके हैं अब स्कैन कॉपी लगा कर लेख को फुरसतिया बना कर आपको बोर नहीं करेंगे.. 🙂
तब तक आप खूब मिठाईयाँ खाईये, खूब दिये जलाईये ( दिल नहीं), और जाते जाते नीचे हमें हमारी दौ सो वीं पोस्ट पर टिप्पणी जरूर दीजिये।
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आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें, दीपों का यह पावन पर्व आपके जीवन में नई रोशनी लाये
अविनाश वाचस्पति said
दो सौं वीं
यानी 100 जमा दो
या दो जमा 100
अथवा
सौ जमा सौ
यानी
दस हजार।
लेख का लिंक तो भेज ही दीजिए
जामुन तो संपन्न हो चुके होंगे
अब प्रसन्नता बांटते रहिए
बांटने से सोलहगुनी होती है
और धन बांटने से कम
रुपये मत बांटिएगा, वैसे
धन की कमी नहीं है
आज किसी के पास
खुशियां सब चाहते हैं जनाब
बांटने से जो बढ़ती हैं बेहिसाब।
P.N. Subramanian said
भाई मज़ा आ गया. पहली बार छपने का जो रोमांच है उसके सामने रस मलाई भी फेल है. पुरस्कार कि बधाई. आभार.
Gyan Dutt Pandey said
बड़ा महीन महीन लिखा जी। बधाई २०० की और दीपावली की भी।
संगीता पुरी said
आपको एवं आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अनूप शुक्ल said
बधाई! अब जब छप गये तब छिपे-छिपे घूमने से क्या फ़ायदा! २०० वीं पोस्ट की भी बधाई!
rachna said
आप का लेख छपा बधाई पर खेद हैं की आप को सक्रिय ब्लॉग लिखने वाली महिलाओं मे एक का भी ब्लॉग का नाम देना याद नहीं रहा . होसकता है आप उनमे से किसी को भी ना पढ़ते हो पर , नीलिमा , सुजाता , घुघूती , रंजना रंजू , प्रत्यक्षा , बेजी , अनुजा , वर्षा , पारुल. अनीता मे से आप किसी एक के भी ब्लॉग का उल्लेख करते तो लगता की हिन्दी ब्लॉग जगत को सही रूप मे प्रिंट मीडिया के पाठको तक आप ने पहुचाया .
संजय बेंगाणी said
बधाई…पार्टी बनती है….
दीपावली की शुभकामनाएं…
Pankaj Bengani said
हाँ लेकिन लेख का लिंक तो दीजिए…
बस ऐसे ही छपते छपाते रहिए.. 🙂
Ranjan said
badhai aapako..
सुरेश चिपलूनकर said
हजार रुपये काफ़ी हैं पार्टी के लिये, आता हूं अभी सूखी पार्टी ही रख लेंगे… 🙂
common man said
bhaiye, font badha do varna aapko chasme bantwane padenge, baharhaal haasya-vyanga donon chijen hi maujood hain aur badhiya hain.
parul said
double badhaayii.sagar ji,,,
जीतू said
सही है। आपका यह हादसा (संस्मरण) पढकर, काफी मजा आया। बहुत दिनो बाद आपके ब्लॉग पर आया हूँ। काफी अच्छा लगा।
दो सौ पोस्ट पूरी होने पर हार्दिक बधाई।
MEET said
बधाई सागर भाई.
समीर लाल said
एक साथ सारी बधाईयाँ…२०० वीं पोस्ट, अखबार में छपने..दीपावली/// सब की सब!!
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
Lovely said
सागर भइया दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ..और छपने की भी
Lavanya said
आपको दीपावली की शुभकामनाएँ –
परिवार के सँग खूब आनँद करेँ –
Badhayee ji Badhayee ho !
Santosh K Aggarwal said
सागर जी, समझ में नहीं आता पहले दो सौ पोस्ट पुरी होने पर बधाई दूँ या दीपवाली के पावन त्यौहार की …. खैर आपकी मर्ज़ी है, जौन सी भी चाहो पहले ले लो. 🙂
Ratan singh said
भाई मज़ा आ गया. पहली बार छपने का जो रोमांच है उसके सामने रस मलाई भी फेल है. पुरस्कार कि बधाई
संजय करीर said
दीपावली की शुभकामनाएं सागर भाई. दो सौवीं पोस्ट और अखबार में लेख प्रकाशित होने की भी बधाई.
ghughutibasuti said
बहुत बहुत बधाई ! चार बातों की बधाई । लेख छपने की, दोसौवीं पोस्ट की, हजार रुपए पुरुस्कार मिलने की और दीपावली की ।
गुलाब जामुन व अचार मिलने की भी ।
यूँ ही लिखते छपते रहिए , परन्तु हमें भी लेख तो पढ़वा दीजिए ।
आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
SHUAIB said
आप तो हमारे पसंदीदा मित्र और चिट्ठाकार हैं
मगर अफसोस कि आजकल आप अपने तकनीकी चिट्ठे पर लिखना छोड दिए 😉
२०० पोस्ट पर हमारी जानिबन से हार्दिक बधाई।
Dr Prabhat Tandon said
बहुत-२ बधाई ! और हाँ , दीवाली की भी !!
Abhishek said
बधाई-बधाई !
awnish said
hai sagar ji aap ka anubhav read kiya accha laga, ekk reporter hone ke naate mai aap ki feelings ko samajh saka. thanks.